हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी है कि आज युवा वर्ग केवल डिग्री बटोर रहा है इसमें युवा वर्ग का कोई दोष नहीं है आज की शिक्षा व्यवस्था ही ऐसी है जो जरूरत के अनुरूप अपडेटेड नहीं है । आवश्यकता है तो शिक्षा व्यवस्था को युगानुरूप बनाने की जिसमें यह पीढ़ी काम करने लायक बन सके । इस बात को ध्यान में रखते हुए हमें निरंतर कुछ ना कुछ सीखते रहना है और अपने बच्चों को भी ऐसे ही शिक्षा देनी है जो उनको अपने आप के रोजगार या व्यवसाय के लिए तैयार कर सके । ये वास्तव में अत्यन्त आनन्द और हर्ष का विषय है कि विद्या के इस देवालय ने नारी के उत्थान और गरिमा के क्षेत्र में अनुकरणीय सफलता अर्जित की है राष्ट्र निर्माण में कन्याओं और नारीशक्ति के अस्तित्व को नजर अंदाज नही किया जा सकता, इसी सोच को आगे बढ़ाने के लिये गत दशकों में विद्यालय ने जा सफलता हासिल की है उसकी जितनी प्रंशसा करे वो अल्प ही होगी।
जो सफर की शुरुआत करते हैं,
वह मंजिल को पार करते हैं।
एक बार चलने का हौसला तो रखो,
मुसाफिरों का तो रास्ते भी इंतजार करते हैं।
डॉ. श्री मनोहरलाल पुंगलिया
अध्यक्ष