वर्ष 1920 मे महालक्ष्मी कन्या पाठशाला की स्थापना स्वर्गीय देशभक्त श्री गोपी कृष्ण जी मूंदड़ा के सुप्रयत्न तथा माहेश्वरी समाज की विशिष्ट व्यक्तियों की सहमति से की गई थी वर्ष 1930 में मंत्री श्री मुकुंद दास जी के समय सर्वप्रथम राज्य की ओर से मान्यता प्राप्त हुई इसी वर्ष प्रौढ़ स्त्री शिक्षा का श्री गणेश सर्वप्रथम इसी पाठशाला में हुआ यहां पढ़ाई के साथ सिलाई, बुनाई, गलीचा आदि बनाने के शिक्षा भी दी जाती थी । परतंत्रता के उस काल में भी स्त्री को शिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाने की सोच थी। सन 1952 में इस विद्या के मंदिर को किराए के मकान से स्वच्छ हवा तथा उपयुक्त स्थान को दृष्टि में रखते हुए माहेश्वरी न्याति भवन में स्थानांतरित कर दिया गया । वर्ष 1961 में इसका स्तर माध्यमिक कन्या पाठशाला हो गया तथा सीनियर सेकेंडरी की मान्यता पर प्राप्त हुई जिस प्रकार एक बीच नन्हे पौधे से कालांतर मे अपनी असंख्य के शाखोंओ के साथ वटवृक्ष का रूप धारण करता है ठीक उसी प्रकार 2002 में यह संस्थान शैशवावस्था को पार कर प्रताप नगर में स्थानांतरित कर दिया गया। वर्तमान शिक्षा जगत में अपनी 6 स्वपोषित शाखों सहित अपनी गरिमा बढ़ा रहा है।